निष्ठुरता और प्रेम

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विवाह को सिर्फ पांच दिन रह गये थे आंगन में सुंदर मंडप खड़ा किया गया था, हाथों में कंगन सज गये थे और विरजन व्याकुल हो कर प्रताप से मिलने चल पड़ती है विरजन प्रताप के घर पहुँचती है तो क्या देखती है....