समय व अपनों से सताई हुई स्त्री, जो हर परिस्थिति में अपने आदर्शों पर टिकी रही । उस स्त्री की कहानी है -ज़िन्दगी की शतरंज । सबसे धोखा खाने के बाद भी उसने लड़ना नहीं छोड़ा ।किसी के सामने न झुकी न हाथ फैलाया ।उस स्त्री सुधा का दर्द है -ज़िन्दगी की शतरंज ।