प्रपंच

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प्रस्तुत कहानी प्रपंच उन व्यवहारों पर प्रश्नचिन्ह लगाती है, जो परिवर्तित परिस्थिति में पूर्णतः अप्रासंगिक हो गए हैं । इतना ही नहीं, समय के सतत प्रवाह में जिनकी मूल संवेदना कहीं पीछे छूट चुकी है, लेकिन परंपरा का निर्वाह करने के लिए आज भी उन रूढ़ व्यवहारों को ढोया जा रहा है ।