क्योंकि की अब क्षितिज नहीं दिखता। जमीन और आसमान कहीं नहीं मिलता नहीं ऐसा तो नहीं है दृष्टि के अंतिम बिन्दु क्षितिज में तो मिलता दिखता है लेकिन ये तो आभास है । क्या ये आभास है पृथ्वी की सीमा पार करने पर तो पूरी जमीन सहित पूरी पृथ्वी ही आसमान की गोद में खेलती दिखाई पड़ती है। तो क्या इस आभासी दुनिया से सत्य जानने के लिए सीमाओं को तोड़ना होता है क्या हमेशा सच को जानने के लिए सीमाओं को तोड़ना पड़ता है और फिर हमेशा सच को जानना जरूरी है क्या