जूनून

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कुछ समय बाद निकिता आती दिखाई पड़ी. वह अपने आप में खोई चली आ रही थी. जैसे ही वह पास आई विनय उसके सामने आ गया. उसे अचानक सामने देख कर वह सहम गई. फिर खुद को काबू में कर चिल्लाई अभी तुम्हारे होश ठिकाने नही आए. कैसे बेशर्म हो. विनय के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान तैर गई. अपने बैग से उसने एक बोतल निकाली. सारा वातावरण निकिता की दर्दनाक चीखों से दहल गया. संभावनाओं से भरा एक जीवन बेकार की सनक और कुत्सित सोंच की भेंट चढ़ गया.