जेहाद एक वतनपरस्त माँ की कहानी है जो अपने वतन के लिए अपने बेटे को, जो बाहरी बहकावे में आकर देश और अपने समाज के साथ गद्दारी पर उतर आया है, को कुर्बान कर देती है यह कहानी उन युवकों के लिए सन्देश देती नज़र आएगी जो बहकावे में आकर धर्म के नाम अपर अपने करीबियों को अपना दुश्मन और दूर बैठे लोगों को अपना समझ बैठते है यह कहानी सांप्रदायिक सद्भाव की एक मिशाल पेश करती है मानवता को अपने धर्म से ऊपर रखने का सन्देश देती यह कहानी वर्तमान परिदृश्य में उपयोगी प्रतीत होती है