ख्वाबो के पैरहन - 16

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एकदम सुभ डोक्टर ने आकर बताया था की अब मरीज़ की हालत में सुधार है, वे अब देर तक सोयेंगी, इसलिए आप लोग घर जा सकते है, हम हैं ही यहाँ भाईजान ने अपनी लाडली बहन को कांच के दरवाजे से झांक कर देखा, उन्होंने इत्मीनान की साँस ली और नूरा के पीछे स्कूटर पर बैठकर घर चले गये रन्नी की आँख खुली तब तक ऑक्सीजन सिलेन्डर उनके पास से हटा दिया गया था कमरे में कोई नही था, दवाईयों की गंध और ठंडक थी उनका दिमाग एकदम शून्य हो रहा था, साँस फिर तेज चलने लगी थी कल शाम की घटना उसे कतरा-कतरा याद थी