लोहमार्गी कथाएँ

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रेलगाडी ने बचपन से ही हम लोगों को आकर्षित किया है। रेल सिर्फ एक आवागमन का साधन मात्र ना रहकर एक संस्कृति बन गयी है और रेलवे स्टेशन इस संस्कृति का तीर्थ। रेल्वे स्टेशन पर एक अलग ही विश्व रहता है। बुक स्टाल हो या रेलवे कैंटीन, ओवर ब्रिज हो या पानी पीने का नल स्टेशन सभी रेलवे स्टेशन की वास्तु पर अलग ही शोभा देती हैं। सबसे अनोखे लगते हैं रेलवे स्टेशन पर आने वाले यात्री, कुछ चिंतित, कुछ प्रसन्न, कुछ उतावले तो कुछ अधिक सावधान। । ट्रेन से सफ़र के दौरान अलग अलग आचार विचार के, भिन्न स्वाभाव के लोगों को एक दूसरे का सहयात्री बनाना पड़ता है। यात्रा के दौरान कभी नए परिचय होते हैं तो कभी पुरानी पहचान के धागे जुड़ते हैं, कभी कोई अनजान किसी का मददगार बनता है तो कभी आपसी संघर्ष होते हैं। डाकिये की झोली में अलग अलग भावों से भरी चिट्ठियां होती है। किसी की शादी की निमंत्रण पत्रिका के पास वापस भेजी गयी जन्म पत्रिका होती है, तो किसी की मुझे नौकरी मिल गयी के पास कल शाम को निधन हो गया ये बताने वाली चिट्ठी पड़ी होती है। उसी तरह से इन कहानियों के प्रसंग भी अलग अलग भावनाएं लिए हुए हैं, कुछ हँसी के तो कुछ दुःख के, कुछ भयानक तो कुछ रोमांचक, कुछ सामाजिक तो कुछ व्यावहारिक। ये कहानियां ट्रेन या रेलवे स्टेशन पर घटी हैं लेकिन है इंसानो की, उनके स्वभावों की , उनके संघर्षों की। ये सारी कहानियाँ सम्पूर्ण रूप से लेखक की कल्पना पर आधारित हैं। किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कहानी के किसी पात्र का मेल केवल योग माना जाये. चलिए तो फिर सुनते हैं लोहमार्गी कथाएँ. कहानियाँ जो ट्रेन में मिली. हर हफ्ते १ नयी कहानी धारावाहिक रूप से प्रकाशित की जाएँगी