ख्वाबो के पैरहन - 14

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ताहिरा भोंचक्की सी फूफी को देखती रही खिड़की के बाहर बादल तैर रहे थे और रेहाना की आँखों में विशाल समुद्र ... जब युसूफ दुबई चले गए थे एकदम निर्मोही होकर तब उन्होंने क्या इतना ही विशाल समुन्दर आखों में नहीं समोया था? जुदाई का दुःख, मोहब्बत का अहसास उनसे अधिक कौन समझ सकता था? दोनों के बिच ख़ामोशी पसरी पड़ी थी और बिच बिच में ताहिरा की दबी सिसकियाँ रेहाना को विचलित किये हुए थी धीमे-धीमे उन्हों ने आँखे बंद की और सिर सीट से टिका लिया कुछ देर यूं ही टिकी बैठी रही कि लगा उन्हें किसी ने पुकारा हो...