चंद्रगुप्त - चतुर्थ - अंक - 40

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सिंहरण ने कहा, हाँ आर्य, प्रचंड विक्रम से सम्राट ने आक्रमण किया है यवन सेना थर्रा उठी है आज के युद्ध में प्राणों को तुच्छ गिन कर वे भीम पराक्रम का परिचय दे रहे हैं गुरुदेव! यदि कोई दुर्घटना हुई तो? आज्ञा दीजिये अब मैं अपने को नहीं रोक सकता तक्षशिला और मालवों की चुनी हुई सेना प्रस्तुत है, किस समय काम आवेगी? चाणक्य ने कहा की जब चन्द्रगुप्त की नासीर सेना का बल क्षय होने लगे और सिन्धु के उस पार की यवनों की समस्त सेना युद्ध में सम्मिलित हो जाय, उस समय आम्भिक आक्रमण करे और तुम चन्द्रगुप्त का स्थान ग्रहण करो...