घुसपैठिए से आखिरी मुलाक़ात के बाद

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पिछली तीन बार की तरह इस बार भी मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली कि लखनऊ में मानसून करीब हफ्ते भर देर से पहुंचेगा। मानसून विभाग द्वारा बताए गए संभावित समय को बीते दो दिन नहीं हुए थे कि लक्ष्मण की नगरी लखनऊ के आसमान में बादल नज़र आने लगे थे। मेरा बेहद भावुक किस्म का साथी फोटोग्रॉफर पत्रकार अरूप पाल आसमान में चहलकदमी करते मानसूनी बादलों की कई फोटो खींच कर ऑफ़िस में मेरे सिस्टम में लोड कर गया था। मैंने उन सब फोटुओं पर एक नज़र डाली। मगर उनमें से कोई भी मुझे कुछ ख़ास नहीं लगी कि मैं उसे अखबार के लोकल पेज पर लगा कर कोई कैप्शन देता।

Full Novel

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घुसपैठिए से आखिरी मुलाक़ात के बाद - 1

पिछली तीन बार की तरह इस बार भी मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली कि लखनऊ में मानसून करीब भर देर से पहुंचेगा। मानसून विभाग द्वारा बताए गए संभावित समय को बीते दो दिन नहीं हुए थे कि लक्ष्मण की नगरी लखनऊ के आसमान में बादल नज़र आने लगे थे। मेरा बेहद भावुक किस्म का साथी फोटोग्रॉफर पत्रकार अरूप पाल आसमान में चहलकदमी करते मानसूनी बादलों की कई फोटो खींच कर ऑफ़िस में मेरे सिस्टम में लोड कर गया था। मैंने उन सब फोटुओं पर एक नज़र डाली। मगर उनमें से कोई भी मुझे कुछ ख़ास नहीं लगी कि मैं उसे अखबार के लोकल पेज पर लगा कर कोई कैप्शन देता। ...और पढ़े

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घुसपैठिए से आखिरी मुलाक़ात के बाद - 2

मैं वापस बाइक के पास पहुंचा। उसे स्टार्ट करने लगा, चार-पांच किक के बाद स्टार्ट हुई। हेड लाइट ऑन टट्टर के पास पहुंचा। अंदर की आहट से यह साफ था कि मुझे टट्टर की झिरियों में से देखा जा रहा है। मैंने करीब पहुंच कर कहा ‘देखिए मेरी मदद करिए। मेरी तबियत खराब होती जा रही है। यहां आगे जाने के लिए ना कोई साधन मिल रहा है और ना ही कोई छाया जहां रुक सकूं। मैं एक नौकरीपेशा आदमी हूं। डरने वाली कोई बात नहीं है।’ ...और पढ़े

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घुसपैठिए से आखिरी मुलाक़ात के बाद - 3

बस इसके बाद मैंने गिलास पानी मंगवाया आमने-सामने बैठ कर पी। मैं झटके से पीने में यकीन नहीं करता। के साथ धीरे-धीरे पीता हूं। मगर वह गिलास में भरते ही एक झटके में गले में उतार देती। दो पैग पीने के बाद उसने बीड़ी भी जला ली। मुझे भी पकड़ा दी। मैंने जो सिगरेट खरीदी थी वह भीग कर बेकार हो चुकी थी। ...और पढ़े

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घुसपैठिए से आखिरी मुलाक़ात के बाद - 4

वह आदमी मुझे गजब का चतुर और शातिर नज़र आया था। लाख कोशिश के बाद भी वह खुलता नहीं कोई उम्मीद ना देख झक मार कर मैं अपनी राह हो लेता था। पांववीं बार भी हाथ मलने के सिवा कुछ नहीं मिला। मन में झोपड़ी वाली कमला को लिए पूरी रात राधानगर वाली कमला के साथ बिताई थी। देर रात राधानगर वाली सो गई थी लेकिन मैं नहीं सो पाया। करीब सवा सौ किलोमीटर गाड़ी चला कर गया था। थका था फिर भी नहीं। थकान शायद कमला के साथ ने उतार दी थी। ...और पढ़े

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