इश्क़… यह एक एहसास है, जो रूह से दिल तक और दिल से ज़िंदगी तक अपना रास्ता बनाता है। ख़ूबसूरती तो हर चेहरे पर मिल जाती है, मगर इश्क़ का बोझ उठाने का हौसला हर किसी के बस की बात नहीं होती। यह कहानी है एक हसीन और मासूम लड़की की, जिसके चेहरे पर चमकते चाँद जैसी रौशनी थी, जिसकी आँखों में बसी थी हज़ारों ख्वाहिशें, और जिसके दिल में छुपी थी मोहब्बत की तड़प। मगर… ज़िंदगी ने उसके रास्ते में सिर्फ़ फूल ही नहीं बिछाए, बल्कि कांटे भी दिए। जहाँ लोग उसकी ख़ूबसूरती को देखते थे, वहाँ कोई उसके दिल की चीख़ नहीं सुनता था। यह दास्तान है हुस्न और मोहब्बत की, यह तर्जुमा है सपनों और हक़ीक़त का, यह सफ़र है तहम्मुल-ए-इश्क़ का… जहाँ मोहब्बत सिर्फ़ चाहना नहीं, बल्कि सहना भी है।
तहम्मुल-ए-इश्क - 1
तहम्मुल-ए-इश्क़ इश्क़…यह एक एहसास है, जो रूह से दिल तक और दिल से ज़िंदगी तक अपना रास्ता बनाता है।ख़ूबसूरती हर चेहरे पर मिल जाती है, मगर इश्क़ का बोझ उठाने का हौसला हर किसी के बस की बात नहीं होती।यह कहानी है एक हसीन और मासूम लड़की की,जिसके चेहरे पर चमकते चाँद जैसी रौशनी थी,जिसकी आँखों में बसी थी हज़ारों ख्वाहिशें,और जिसके दिल में छुपी थी मोहब्बत की तड़प।मगर…ज़िंदगी ने उसके रास्ते में सिर्फ़ फूल ही नहीं बिछाए,बल्कि कांटे भी दिए।जहाँ लोग उसकी ख़ूबसूरती को देखते थे,वहाँ कोई उसके दिल की च ...और पढ़े
तहम्मुल-ए-इश्क - 2
"आमिर !!आमिर साद अहमद ख़ान, उसका छोटा भाई, साद अहमद का सबसे छोटा सत्रह साल का बेटा, उम्र से ही वो अपनी उम्र से बहुत ज़्यादा बड़ा लगता था, लंबा क़द, दरमियानी वुजूद, न मोटा न पतला, सफ़ेद गुलाबी रंगत, वो बिल्कुल जेरिश से मशाहबत रखता था।।"आमिर तुम यहाँ कैसे? जेरिश ने नज़रें चुराते हुए अपने भाई से पूछा।"क्यों आपी, मैं यहाँ नहीं आ सकता क्या? सवाल के बदले सवाल किया गया।"ऑफ़ कोर्स आ सकते हो, तुम्हारा ही तो रूम है, जब मर्ज़ी आओ, जेरिश ने फ़राख़दिल से उसको जवाब दिया था।।"आपी, आप रोती रही हैं न? आमिर ने ...और पढ़े
तहम्मुल-ए-इश्क - 3
एपिसोड 3दिल्ली जैसा इतना बड़ा शहर खूबसूरत रंगीन रातों को ये शहर अपने आप में ही एक खूबसूरती का बोलता सबूत था, यहाँ मुगलों का एक जहाँ अबआद था दूर दूर से दहली को देखने बाहर मुल्क से लोग आते थे, यहाँ की हिस्टॉरिकल बिल्डिंग्स यहाँ की दिलों को खुश कर देने वाली हवाएँ पूरे इंडिया का निज़ाम दहली में ही तो था रात की रोशनी में जगमगाती हुई चाँदनी चौक उसकी खूबसूरती दिल करता कि जिसे यहाँ से और कहीं जाए ही न, इसको ऐसी ही दहली नहीं कहते थे, ये दिल था इंडिया का दिलों पर राज ...और पढ़े
तहम्मुल-ए-इश्क - 4
एपिसोड 4"यक़ीन न किया अपनों नेज़िंदगी से हम हार बैठे"वो दोनों एक खुशनुमा दिन गुज़ार कर घर वापस आ थे। कई सालों बाद जेरिश ने आज आज़ादी से खुलकर सांस ली थी। अस्र का वक़्त था, हमेशा की तरह आज गर्मी और दिन से ज़्यादा तेज़ होती जा रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे आग के शोले बरस रहे हों। गाड़ी रोड पर दौड़ रही थी। आज बहुत ट्रैफिक था और वैसे भी दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता और आज तो वैसे भी संडे था, लोग अपनी फैमिली के साथ ...और पढ़े