अंधेरे का समय था। रामपुर नाम का एक छोटा-सा गांव गहरी नींद में डूबा हुआ था। मगर अजय अब भी जाग रहा था। किसी चीज़ पर ध्यान लगाकर काम कर रहा था। और करता भी क्यों नहीं — वह पेशे से एक इंजीनियर था, बस अभी तक नौकरी नहीं मिली थी। इसी बीच, उसके घर के बाहर एक तेज़ धमाका होता है। चौक कर अजय बाहर निकलता है। सामने वाले खेत में आग लगी होती है। अजय घबराकर अंदर भागता है और मां, पिताजी और बहन गीता को उठाता है। फिर वह दौड़कर कुएं की मोटर चालू करता है और पाइप से आग की ओर पानी छिड़कने लगता है।
धूमकेतू - 1
अंधेरे का समय था।रामपुर नाम का एक छोटा-सा गांव गहरी नींद में डूबा हुआ था। मगर अजय अब भी रहा था। किसी चीज़ पर ध्यान लगाकर काम कर रहा था। और करता भी क्यों नहीं — वह पेशे से एक इंजीनियर था, बस अभी तक नौकरी नहीं मिली थी।इसी बीच, उसके घर के बाहर एक तेज़ धमाका होता है। चौक कर अजय बाहर निकलता है। सामने वाले खेत में आग लगी होती है।अजय घबराकर अंदर भागता है और मां, पिताजी और बहन गीता को उठाता है। फिर वह दौड़कर कुएं की मोटर चालू करता है और पाइप से आग ...और पढ़े
धूमकेतू - 2
अजय दौड़कर जाता हैं और नहाने से पहले जो पैंट उसने पहनी हुई थी उस पैंट के जेब मैं डालकर उस पत्थर को निकालता हैं।लेकिन अब वो पत्थर रात की तरह चमक नही रहा था।अजय अचंभित हो जाता हैं।थोड़ी देर पत्थर को निहारने के बाद अजय को लगता है कि यह बात छुपाई नहीं जा सकती किसी को तो बताके इसका तोड़ निकल होगा। तभी उसको अपने पुराने दोस्त अतुल की याद आती है। जो डॉक्टर होमी भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में इंजीनियर था।अजय उसको कॉल लगाता हैं।अजय : पहचाना?अतुल : तुझे नहीं पहचानूंगा तो किसे पहचानूंगा! बड़े दिनों ...और पढ़े
धूमकेतू - 3
धूमकेतु – भाग 3: सच्चाईचारों ओर सन्नाटा।पुलिस की गाड़ियों की लाइटें अब भी टिमटिमा रही थीं। लोग अभी भी में थे।अजय की मां चीख रही थीं—“अजय! अजय कहाँ गया?”लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।आकाश में काले बादलों के बीच से एक परछाई छलांगें लगाते हुए शहर से दूर निकल चुकी थी — अजय को लेकर।---धीरे-धीरे अजय को होश आता है।उसकी पलकें भारी थीं, सिर में दर्द और शरीर थक चुका था।आंखें खुली तो खुद को एक अजीब से बंद कमरे में पाया — चारों ओर धातु की दीवारें, बिना किसी खिड़की के।अजय डर गया।तभी एक गूंजती ...और पढ़े
धूमकेतू - 4
अजय एकदम सन्न रह गया।उसके मन में सवालों का तूफ़ान उठने लगा — "ये अजनबी आदमी मेरे अपहरण के में कैसे जानता है?"वो शख्स मुस्कुराकर बोला,"मुझे पता है, तुम्हारे मन में सवालों का बवंडर चल रहा है। चलो… कहीं और चलकर तुम्हारे सभी सवालों का जवाब देता हूँ।"अजय कुछ पल सोच में पड़ा, फिर धीरे से हामी भर दी।---गाड़ी में बैठते ही माहौल गंभीर हो गया।थोड़ा सफर तय करने के बाद, वो आदमी एक विशाल बिल्डिंग की ओर इशारा करते हुए बोला,"देखो, ये मेरा घर… और मेरा ठिकाना है।"अजय ने उस बिल्डिंग की ओर देखा — सामने एक बड़ा ...और पढ़े
धूमकेतू - 5
रणजीत की आंखें अचानक चौक गईं।सिक्योरिटी पाथ – ANACC का वो सेक्शन, जहाँ सबसे गुप्त हथियार, केमिकल्स और प्रयोग जाते थे – तहस-नहस पड़ा था।कुछ लॉकर्स टूटे हुए थे, सिक्योरिटी गार्ड्स ज़मीन पर बेहोश पड़े थे।सबसे बड़ा झटका यह था कि लिक्विड ट्यूब गायब थी।रणजीत का चेहरा तमतमा उठा।“मेगाह्यूमन सीरम…” उसने बड़बड़ाया।उसी समय पीछे से अजय आया।“क्या हुआ मिस्टर डायरेक्टर?”अजय की नज़र जैसे ही कमरे पर पड़ी, उसकी आंखें चौंधिया गईं। इतना बड़ा हादसा, और अलार्म तक नहीं बजा?रणजीत ने अपने पास खड़ी महिला अधिकारी को आदेश दिया –“इमरजेंसी डिक्लेयर करो। सभी ऑफिशियल्स को तुरंत मीटिंग हॉल में बुलाओ।”अजय ...और पढ़े
धूमकेतू - 6
भाग 6 – लावाअजय की सांसें रुक-सी गईं।गांव के रास्ते पर चलते हुए उसने जब अपना घर देखा, तो घर नहीं था… बस मलबे का ढेर पड़ा था।कभी जहां उसकी हंसी-खुशी की दुनिया थी, अब वहां धूल और राख का साम्राज्य था।उसकी आंखें कांप उठीं।“नहीं… ये सपना है, ये सच नहीं हो सकता।”लेकिन सच सामने था।घर का टूटा दरवाज़ा, बिखरी हुई दीवारें और कोनों में बिखरे हुए सामान।तभी उसे एक हल्की सिसकी सुनाई दी।कोने में बैठी उसकी बहन गीता फूट-फूटकर रो रही थी।अजय पागलों की तरह दौड़कर उसके पास आया।“गीता… क्या हुआ? मां और पिताजी कहां हैं? कैसे हुआ ...और पढ़े
धूमकेतू - 7
भाग 7 strikers भभकते लावा की दरारों में एक परछाई हिल रही थी।वो प्रोफेसर गांधी ही था। उसका शरीर धीरे-धीरे लावे से energy खींचने लगा। उसकी त्वचा पर चिंगारियाँ दौड़ने लगीं। जैसे ही आग बुझी, वो फिर से खड़ा हो गया—पहले से कहीं ज़्यादा ताक़तवर, उसकी आँखें लाल कोयले जैसी चमक रही थीं।“कहा था ना…” उसकी आवाज़ पिघले लोहें जैसी गूँजी,“मैं कभी हारता नहीं! अजय… रणजीत… अब दोनों का हिसाब बाकी है। मैं हमेशा एक कदम आगे सोचता हूँ। दुनिया मेरी है… और मैं इसका राजा… hahaha!”उसकी हँसी पूरे गुफानुमा लैब में गूँज उठी।--- दूसरी ओर…शाम ढल चुकी ...और पढ़े
धूमकेतू - 8
भाग 8वीर ने अपने बाजुओं को कसते हुए कहा—"उन लोगों के लिए आर्मी की क्या ज़रूरत? हम चार ही हैं... बल्कि मैं तो अकेला ही सबको खत्म कर सकता हूँ।"उसके चेहरे पर आत्मविश्वास से ज़्यादा घमंड झलक रहा था।रणजीत ने उसकी आँखों में देखा, लेकिन कुछ नहीं कहा।स्क्रीन पर तेज़ी से बदलते डेटा को वह डिकोड कर रहा था। सामने विशाल डिजिटल बोर्ड पर लक्षद्वीप के C21 आइलैंड की तस्वीरें, नक्शे और उपग्रह चित्र उभर रहे थे।रणजीत ने गहरी सांस भरते हुए कहा—"ये मिशन आसान नहीं है। दुश्मन सिर्फ हथियारों से लैस नहीं, बल्कि उन्हें सपोर्ट करने वाली ताकतें ...और पढ़े