अंधेरी रात हो। किसी भी प्रकार के प्रकाश का कहीं नाम निशाँ भी ना हो, ऐसे में कहीं जाना पड़े, तो मन पर भय का छा जाना स्वाभाविक ही है। विशेषतया मेरे जैसे डरपोक युवक के लिए तो बहुत ही कठिन होता है, जो कि दिन में अपनी परछायी से भी भयभीत हो जाता हो। मुझे यह कहने में कतई भी संकोच नहीं कि यदि मुझे किसी अँधेरे स्थान में जाना हो तो मेरे लिए बहुत ही कठिन हो जाता है। वैसे मैं अपने आप को डरपोक कहलाया जाना क़तई भी पसंद नहीं करता, किन्तु जो सच्चाई है, उसे अस्वीकार भी तो नहीं किया जा सकता। इसलिए विवशतावश ही सही जब मैं इस कहानी का एक पात्र बन ही गया हूँ तो मुझे यह स्वीकार करना ही पड़ेगा कि मुझे भय बहुत ही लगता है।

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रहस्यमय यात्रा - 1

(जन्म जन्मांतर की एक रोचक, रहस्यमय और रोमांचक कहानी) राज ऋषि शर्मा राजर्षि प्रकाशन नागवनी रोड, जम्मू © कॉपीराइट, 2023, लेखक सर्वाधिकार सुरक्षित। इस पुस्तक के किसी भी हिस्से को इसके लेखक की पूर्व लिखित सहमति के बिना इलेक्ट्रॉनिक, मैकेनिकल, चुंबकीय, ऑप्टिकल, रासायनिक, मैनुअल, फोटोकॉपी, रिकॉर्डिंग या अन्यथा किसी भी रूप में पुन: प्रस्तुत, पुनर्प्राप्ति प्रणाली में संग्रहीत या प्रसारित नहीं किया जा सकता है। इस पुस्तक में व्यक्त राय, सामग्री पूरी तरह से लेखक की है और राजश्री प्रकाशन की राय, स्थिति,विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। उपन्यास पूर्णतया ...और पढ़े

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