अब और सनबर्न नहीं चाहिए

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इस घर में आज भी सुबह-सुबह नर्म हवा के झोंके पर्दों को थरथराते हैं । आज भी बरामदे में नीचे के बाईं तरफ़ करे नीचे पेड़ों की टहनियों से छनती धूप अपना अक्स बनाती है। आज भी इस घर में डेरीवाला घंटी बजाकर दूध देता है। बस इन थरथराते पर्दों की सूरज की किरणों की जैसे रूह फ़ना हो गई है। सामान से भरे इस घर में एक कमरे से दूसरे कमरे में जाओ तो लगता है निःस्तब्ध वीराने में टहल रहे हैं। घर की बची हुईं हलचलें स्पन्दनहीन लगती हैं, अजीब-सी मरघटनुमा खामोशी में लिपटी हुई । जिन दो लोगों यानि एक पुरुष व स्त्री ने घर बसाया था वे कहीं क्षितिज में विलीन हो गये हैं । उनका घर किसी ख़ौफनाक हादसे की तरह डराता लगता है। उन दिनों हादसे जैसे उस घर की किस्मत बन चुके थे।

Full Novel

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अब और सनबर्न नहीं चाहिए - 1

नीलम कुलश्रेष्ठ एपीसोड --1 इस घर में आज भी सुबह-सुबह नर्म हवा के झोंके पर्दों को थरथराते हैं । भी बरामदे में नीचे के बाईं तरफ़ करे नीचे पेड़ों की टहनियों से छनती धूप अपना अक्स बनाती है। आज भी इस घर में डेरीवाला घंटी बजाकर दूध देता है। बस इन थरथराते पर्दों की सूरज की किरणों की जैसे रूह फ़ना हो गई है। सामान से भरे इस घर में एक कमरे से दूसरे कमरे में जाओ तो लगता है निःस्तब्ध वीराने में टहल रहे हैं। घर की बची हुईं हलचलें स्पन्दनहीन लगती हैं, अजीब-सी मरघटनुमा खामोशी में लिपटी ...और पढ़े

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अब और सनबर्न नहीं चाहिए - 2

एपीसोड ---2 तब दोपहर में मेरी ड्यूटी अस्पताल में रहने की लगी थी । रात में कुसुम मौसी किसी वहाँ रहने नहीं देती थीं, स्वयं ही वहाँ रहतीं । दोपहर में मैं उनके बिस्तर के सामने बैठकर ध्यान रखती ऑक्सीजन के सिलिंडर की नली ठीक है या नहीं । गले में कफ़ तो नहीं घड़घड़ा रहा । मैं उनके शरीर पर चिकोटी काटकर अवश्य देखती । उनके शरीर को एक झटका लगता पलकें कंम्पित होतीं । किशोरावस्था की अपनी मूर्खताओं पर अब बेहद शर्म क्या क्षोभ होता था । मैं उनकी लाड़ली भांजी थी । पढ़ने का शौक लगना ...और पढ़े

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अब और सनबर्न नहीं चाहिए - 3 (अंतिम भाग)

एपीसोड ---3 मैं भी घबराई हुई थी, “मौसी ! सोच लीजिये घर पर डिलीवरी करने मेंकुछ गड़बड़ हो गई ?” डॉक्टर मौसी “जब सब नार्मल है तो गड़बड़ क्यों होगी ? यदि कुछ हुआ भी तो अस्पताल पास में है । घर पर डिलीवरी से सबको आराम रहेगा । नहीं तो फिर अस्पताल की भागदौड़ करनी पड़ेगी ।” मामा ने उनके कहने पर मूँज की चारपाई के पैरों की तरफ़ वाली मोटी रस्सी बीच से खोल दी थी । प्रसवपीड़ा जब चरम पर पहुँचने लगी तो मौसी ने मामी को इस पर लिटा दिया । उन्होंने पास में एक ...और पढ़े

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