कल्कि: अन्त का प्रारंभ।

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"कलकी" इस नाम से कलयुग के बहुत से मनुष्य परिचित होंगे। पुराणों के अनुसार कलकी प्रभु श्री विष्णु का अंतिम अवतार बताया गया गया है, जिसमे प्रभु श्री विष्णु मनुष्य योनि में जन्म लेकर कलयुग का समापन करेंगे। उस समय पर पाप अपनी चरण सीमा पर होगा और लगातार अपने अंत की बढ़ता जा रहा होगा। उस समय में पाप ही पुण्य, बुराई ही अच्छाई, अधर्म ही धर्म, हिंसा ही अहिंसा का रूप ले चुके होंगे। सभी प्राणी अपने स्वार्थ के लिए किसी भी जीव को हानि करने के लिए एक क्षण भी विचार नही करेंगे। मनुष्य भोग विलास और लालच में इतना डूब चुका की वह जीवन और मृत्यु के चक्र को भूल जायेगा। पाप करना, नरसंहार करना, बलात्कार करना, निर्बलों पर अत्याचार करना ये सब मानवीय प्रवत्तिया बन चुकी होगी। मनुष्य की यह प्रवत्ति कलि प्रवत्ति है।

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कल्कि: अन्त का प्रारंभ। - भाग 1

"कलकी" इस नाम से कलयुग के बहुत से मनुष्य परिचित होंगे। पुराणों के अनुसार कलकी प्रभु श्री विष्णु का अवतार बताया गया गया है, जिसमे प्रभु श्री विष्णु मनुष्य योनि में जन्म लेकर कलयुग का समापन करेंगे।उस समय पर पाप अपनी चरण सीमा पर होगा और लगातार अपने अंत की बढ़ता जा रहा होगा।उस समय में पाप ही पुण्य, बुराई ही अच्छाई, अधर्म ही धर्म, हिंसा ही अहिंसा का रूप ले चुके होंगे।सभी प्राणी अपने स्वार्थ के लिए किसी भी जीव को हानि करने के लिए एक क्षण भी विचार नही करेंगे।मनुष्य भोग विलास और लालच में इतना डूब ...और पढ़े

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