" संजय धीरे धीरे चालिए ! आवाज मत कीजिए वरना वह जाग जायेगी । " , एक अंधेरे घर में हाथ में केक पकड़ कर चल रही औरत ने अपने साथ वाले आदमी से कहा । आगे उस आदमी यानि संजय ने फूस फसा कर कहा , " तुम बोल कर मुझ से ज्यादा आवाज़ कर रही हो मधु । तुम धीरे बात करो ना । " वो दोनों घर के एक कमरे के सामने पहुंचे जिस का गेट बन्द था ।मधु ने फूस फसा कर संजय से कहा , " संजय धीरे से गेट खोलिए । और आवाज़ मत

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बैरी पिया - 1

" संजय धीरे धीरे चालिए ! आवाज मत कीजिए वरना वह जाग जायेगी । " , एक अंधेरे घर हाथ में केक पकड़ कर चल रही औरत ने अपने साथ वाले आदमी से कहा । आगे उस आदमी यानि संजय ने फूस फसा कर कहा , " तुम बोल कर मुझ से ज्यादा आवाज़ कर रही हो मधु । तुम धीरे बात करो ना । " वो दोनों घर के एक कमरे के सामने पहुंचे जिस का गेट बन्द था ।मधु ने फूस फसा कर संजय से कहा , " संजय धीरे से गेट खोलिए । और आवाज़ मत ...और पढ़े

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