कोरोना महामारी में कविताओं से अलख जगाते-मुक्तेश्वर ----बिहार में 13 मार्च को वैश्विक कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने गाइड लाइन्स तय किये। इसी परिप्रेक्ष्य में सर्वभाषा रचनाकार संघ -सह- अखिल भारतीय लेखक संघ के अध्यक्ष मुक्तेश्वर सिंह मुकेश ने उसी तिथि से अपनी रचनाओं से संदेश देकर आम जन को जागरुक करने की एक शुरुआत की जो लगातार लाॅकडाउन -1 से लाॅकडाउन - 4 तक आबाध रुप से चलता रहा ।उनकी कविताओं को ‘‘कोविड-19’’ की कोरोना काल में संकलित कर देखा जाय तो ऐतिहासिक घटनाक्रम का स्पष्ट प्रतिबिम्ब उन कविताओं में आनेवाले दिनों में देखा जा
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कोरोना काल में कविता से अलख जगाते मुक्तेश्वर
कोरोना महामारी में कविताओं से अलख जगाते-मुक्तेश्वर ---------------------------------बिहार में 13 मार्च को वैश्विक कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए सरकार ने गाइड लाइन्स तय किये। इसी परिप्रेक्ष्य में सर्वभाषा रचनाकार संघ -सह- अखिल भारतीय लेखक संघ के अध्यक्ष मुक्तेश्वर सिंह मुकेश ने उसी तिथि से अपनी रचनाओं से संदेश देकर आम जन को जागरुक करने की एक शुरुआत की जो लगातार लाॅकडाउन -1 से लाॅकडाउन - 4 तक आबाध रुप से चलता रहा ।उनकी कविताओं को ‘‘कोविड-19’’ की कोरोना काल में संकलित कर देखा जाय तो ऐतिहासिक घटनाक्रम का स्पष्ट प्रतिबिम्ब उन कविताओं में आनेवाले दिनों में देखा जा ...और पढ़े
कोरोना काल में कविता से अलख जगाते मुक्तेश्वर - 2
(1) कोरोना काल में बाजार घर घर हैं बीमार कोरोना की ऐसी रफ्तार,बीच में अफवाहों का अजब गजब अवतार।कोरोना महामारी है,नहीं है की होती तकरार,एन मास्क सर्जिकल मास्क सबके सब बेकार। आक्सीजन की अस्पतालों में खूब है मारम्मार,आक्सीजन जरूरी है,सिलिंडर का हाहाकार। आक्सीमीटर,लेमुनाइजर का है बढा बाजार,आपदा में अवसर ढूंढ हो रहा काला व्यापार। धैर्य संयम दो गज की दूरी,मजबूरी नहीं जरूरीकोरोना से क्यों है डरना वैक्सीन में सुरक्षा पूरीनि:सहाय,बूढे बुजुर्गों को मदद की है दरकार,युवाओं स्वयंसेवकों पर मानव रक्षा का ...और पढ़े