एक परछाई तहखाने में कदमों की आहट के साथ बढ़ रही थी यह कटप्पा थे ,कटप्पा के हाथों में खाने की थाली थी दोनों तरफ सलाखें थी तहखाने में कोई शोरगुल नहीं था ,यहां पर मंद अंधेरा था ,कटप्पा आगे से दाएं और मुड़े, सामने की सलाखों के पीछे एक सक्ष अधमरी - सी हालत में जमीन पर पड़ा था ,खुले केशो ने उसके चेहरे को ढक रखा था कटप्पा उस व्यक्ति के पास जाकर रुक गया और सलाखों के नीचे से उस थाल को धीरे से उस व्यक्ति की तरफ धकेल दिया "खाना खा लीजिए "- कटप्पा ने कहा
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बाहुबली - 3 - भाग-1
एक परछाई तहखाने में कदमों की आहट के साथ बढ़ रही थी यह कटप्पा थे ,कटप्पा के हाथों में की थाली थी दोनों तरफ सलाखें थी तहखाने में कोई शोरगुल नहीं था ,यहां पर मंद अंधेरा था ,कटप्पा आगे से दाएं और मुड़े, सामने की सलाखों के पीछे एक सक्ष अधमरी - सी हालत में जमीन पर पड़ा था ,खुले केशो ने उसके चेहरे को ढक रखा था कटप्पा उस व्यक्ति के पास जाकर रुक गया और सलाखों के नीचे से उस थाल को धीरे से उस व्यक्ति की तरफ धकेल दिया "खाना खा लीजिए "- कटप्पा ने कहा ...और पढ़े
बाहुबली - 3 - भाग-2
"और महारानी से मिलना तो दूर उनसे उनको देखने पर भी दंड मिलता है जब वह गांव की गलियों गुजरती है तो सबकी नजरें झुकी हुई होती हैं "-उस आदमी ने अपनी बातें जारी रखी महेंद्र बाहुबली ने माता की तरफ देखा उनका चेहरा उतरा हुआ था "क्या हुआ मां "-बाहुबली ने पूछा देवसेना का ध्यान बाहुबली की तरफ हुआ -"कुछ नहीं पुत्र"- कुछ छुपाते हुए देव सेना ने जवाब दिया बाहुबली सिंहासन से नीचे उतर कर अपनी मां के घुटनों के पास बैठ गया -"मां ,आपका पुत्र हूं आपके चेहरे के भाव को समझ सकता हूं बताइए क्या ...और पढ़े