हम सबको कहानियां पढ़ने या सुनने का शौक तो वैसे ही बचपन से होता है। ये कहानियां हमें उस दुनिया में ले जाती है, जहां हमें सकून और अपनापन हासिल होता है। तब मैं ये बात नहीं जानती थी कि मेरी जिंदगी भी किसी कहानी की तरह मोड़ लेगी। जहां मेरी जिम्मेदारियां मुझसे मेरे बचपन और teenage छीन लेगी। मैं अपने घर की सबसे छोटी लड़की थी, वैसे तो घर के सबसे छोटे बच्चों को बहुत दुलार मिलता है और वह दुलार मुझे भी मिला पर मुझे ये नहीं पता था यह दुलार मेरे पास महज कुछ वक्त के लिए
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एक लड़की की कहानी मेरी जुबानी
हम सबको कहानियां पढ़ने या सुनने का शौक तो वैसे ही बचपन से होता है। ये कहानियां हमें उस में ले जाती है, जहां हमें सकून और अपनापन हासिल होता है। तब मैं ये बात नहीं जानती थी कि मेरी जिंदगी भी किसी कहानी की तरह मोड़ लेगी। जहां मेरी जिम्मेदारियां मुझसे मेरे बचपन और teenage छीन लेगी। मैं अपने घर की सबसे छोटी लड़की थी, वैसे तो घर के सबसे छोटे बच्चों को बहुत दुलार मिलता है और वह दुलार मुझे भी मिला पर मुझे ये नहीं पता था यह दुलार मेरे पास महज कुछ वक्त के लिए ...और पढ़े
एक लड़की की कहानी मेरी ज़ुबानी - 2
मेरी हिम्मत नहीं पड़ रही है कि मैं उस से सच कहूं कि वो अब कभी भी अपने पैरों खड़ा नहीं हो सकेगा और धीरे-धीरे mental condition भी बिगड़ती जाएगी। कैसे मैं उसे ये सच कहूं बच्चा है, वो मेरा....... बच्चा......हैं....। शायद आप इतने पत्थर दिल हो मैं नहीं, रवि कि मम्मी शांत हो जाओ, तुम तो रो सकती हो, चिल्ला सकती हो। थोड़ा मेरा तो सोचो मैं किससे कहूं कहां जाकर अपना सिर मारूं? तुम्हारा ही नहीं मेरा भी बेटा है, मुझे क्यों भूल जाती हो। बोलो.... मैं क्या करूं.... बोलो मैं क्या करूं........ रवि के पापा!! रवि ...और पढ़े
एक लड़की की कहानी मेरी जुबानी - 3
मुझे क्या पता था कि मैं एक ऐसे सच से अनजान था, जो मेरी जिंदगी हिला देने वाला था। अब कभी भी ठीक नहीं होगे और जितना वक्त बिताता जाएगा भाई साहब की हालत और भी खराब होती जाएगी। इसी बीच अचानक पापा कि एक accident में मौत हो गई, वो हमें छोड़ कर चले गए, जिसने मम्मी को और तोड़ दिया। इसी के साथ मम्मी बहुत चिड़चिड़ा हो गई और इसी के साथ-साथ मम्मी हंसना भी भूल गई। जो घर रिश्तेदारों से भरा रहता था, अब हमारी हालत खराब होने के चलते सब दूर होते चले गए या ...और पढ़े