आधुनिक भारत में महिलाओं की भूमिका

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हर युग का ज्ञान कला देती रहती हैहर युग की शोभा संस्कृति लेती रहती है इन दोनों से भूषित वेशित और मंडितहर नारी प्रतिमा एक दिव्य कथा कहती है कला और संस्कृति को अपने आंचल में संजोए प्रत्येक भारतीय नारी युगों युगों से अनेक दैवीय एवं मानवीय मूल्यों की धरोहर को पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित करती रही है.आधुनिक युग में महिलाओं की भूमिका निर्धारित करने से पूर्व हमें भारतीय महिलाओं के गौरवशाली अतीत के झरोखे में झांकना होगा भारत की गौरव मान विभूति आचार्य मनु ने मनुस्मृति के श्लोक की अर्धा ली मैं ही भारतीय नारी के संपूर्ण वैभव प्रतिष्ठा और सम्मान

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आधुनिक भारत में महिलाओं की भूमिका

हर युग का ज्ञान कला देती रहती हैहर युग की शोभा संस्कृति लेती रहती है इन दोनों से भूषित और मंडितहर नारी प्रतिमा एक दिव्य कथा कहती है कला और संस्कृति को अपने आंचल में संजोए प्रत्येक भारतीय नारी युगों युगों से अनेक दैवीय एवं मानवीय मूल्यों की धरोहर को पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित करती रही है.आधुनिक युग में महिलाओं की भूमिका निर्धारित करने से पूर्व हमें भारतीय महिलाओं के गौरवशाली अतीत के झरोखे में झांकना होगा भारत की गौरव मान विभूति आचार्य मनु ने मनुस्मृति के श्लोक की अर्धा ली मैं ही भारतीय नारी के संपूर्ण वैभव प्रतिष्ठा और सम्मान ...और पढ़े

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आधुनिक भारत में महिलाओं की भूमिका - 2

पुरुष एक उद्योगी और उत्क्षृंखल इकाई है परिवार बसा कर रहना उसका सहज स्वभाव नहीं है यह नारी की कोमल भावात्मक कुशलता है जो पारिवारिक रिश्ते बनाकर प्रसन्नता एवं आनंद की परिधि में परिभ्रमण करने के लिए लालायित करती हैं। नारी ही पुरुष की उद्योग उपलब्धियों को व्यवस्था एवं उपयोगिता प्रदान करती है । नारी के कारण ही पुरुष पुत्र वान और प्रसन्न चैता है पत्नी के रूप में नारी का महत्व असीम और अनुपम है पत्नी ही उसकी सुख दुख की संगिनी किंकर्तव्यविमूढ़ ता की स्थिति में सच्ची सलाहकार प्रिय शिष्य रमण काल में रमणी एकांत में आनंद ...और पढ़े

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