इस रिश्ते को क्या नाम दूँ ?

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में जो अब लिखने जा रही हुं वो कोई काल्पनीक Story नहीं है । वो एक बास्तबिक घटणा है । जिसे में जब भी याद करती हुं तो मेरी अन्दर एक अजीब सी सबाल पैदा होती है । पता नहीं क्युं ? पर नाजाने लोग यैसा रिस्ता क्युं बनाते हैं ? चलिये अब काहानी की ओर बढते हैं । पर फिरसे एक बात बोलना चाहती हुं की में किसी रिस्ते के खीलाफ नहीं हुं, नाही कोई रिस्ते को में गलत ठेहरा रही हुं । में सिफ् ये बोलना चाहती हुं की रिस्ता कोई भी हो

Full Novel

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इस रिश्ते को क्या नाम दूँ ? - 1

में जो अब लिखने जा रही हुं वो कोई काल्पनीक Story नहीं है । वो एक बास्तबिक घटणा है जिसे में जब भी याद करती हुं तो मेरी अन्दर एक अजीब सी सबाल पैदा होती है । पता नहीं क्युं ? पर नाजाने लोग यैसा रिस्ता क्युं बनाते हैं ? चलिये अब काहानी की ओर बढते हैं । पर फिरसे एक बात बोलना चाहती हुं की में किसी रिस्ते के खीलाफ नहीं हुं, नाही कोई रिस्ते को में गलत ठेहरा रही हुं । में सिफ् ये बोलना चाहती हुं की रिस्ता कोई भी हो ...और पढ़े

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इस रिश्ते को क्या नाम दूँ ? - 2

अबतक आप पढे हैं की स्रुती को दुबारा प्यार हो जाती है, वो भी अपने साथ काम करनेबाला एक से । अब आगे........ इस बार भी स्रुती को प्यार करनेबाला लेडका बहत अच्छा था । वो उसे सायद अपने जान से भी ज्यादा पसन्द करता था । दोनो एक दुसरे के साथ बहत खुलमिल जाते थे । लेकिन क्या है ना जब रिस्ते में दोनो के अलावा कोई तिसरा लोग घुसता हैं तो रिस्तों में दरार आ जाती हैं । पर एक बात तो है की जबतक हम दुसरों के बातों को अपने अन्दर आने ...और पढ़े

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इस रिश्ते को क्या नाम दूँ ? - 3

part-2 में आप पढे हैं की मतलब के आगे प्यार हार जाती है और स्रुती एकदम् से अकेली पड है । अब आगे........ 2years later...... टुटी हुई दिल को सभ्मालने केलिए स्रुती को दो साल लग गयी । अब वो थोडी समझदार हो गेयी थी । किसी पर भरोसा करोना उसके केलिए बहत मेहेनत की काम थी । स्रुती अब सबसे दोस्ती करती थी पर प्यार नहीं । बहत सारे दोस्त बनाचुकी थी वो । स्रुती को गाना गाना बेहत पसन्द थी । माना की वो कोई perfessional ...और पढ़े

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इस रिश्ते को क्या नाम दूँ ? - 4

सब केहते हैं प्यार जीन्देगी में एकबार होती है, पर में कहूँगीं प्यार बारबार भी हो सकती है । हमको जो अच्छा लगता है हम उससे जुड जाते हैं । यही तो प्यार है और क्या ? प्यार कोई चीज नहीं है, वो एक येहेसास् है । उसे रोकना नामुमकिन् है । मगर हम गलत लोगों से दिल लगा लेते हैं । अबतक आप पढे हैं की स्रुती और दिपक् खुद confuse है इस रिस्ते को लेकर । ना उन्हे लगता है की वो दोनो सीफ् दोस्त है, नाही दोस्ती से उपर और ...और पढ़े

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इस रिश्ते को क्या नाम दूँ ? - 5

अबतक आप पढे हैं की स्रुती को दीपक् कुछ सबाल पुछता है उसको जबाब देने को बोलता है । जबाब के साथ-साथ अपना अतीत की कुुछ बातेंं सुनाने जा रही है । उसे लगती है सायद दीपक् जो पुछ रहा है उसको उसका जबाब मिलजाये या फिर अपनी अन्दर जो तकलीफ है सायद वो कुछ कम हो जाये । अब आगे पढते हैं........ स्रुती :- तुम्हे पता है में प्यार की लब्ज तब से पढ रही हुं जब से में छोटी थी । में हमेशा सच्चा महबत् करती हुं पर मुझे धोखा मिलती ...और पढ़े

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इस रिस्ते को क्या नाम दुँ ? - 6

अबतक की कहानी थी स्रुती दिपक् के आगे अपनी अतीत के दर्द भरे पन्हें को खोल रही थी । आगे........ दिपक् :- फिर क्या हुआ ? तुने क्या किया ? स्रुती :- बचपन से मेरी एक आदत है की, में हर किसी को प्यार देती हुं पर किसीको आशुं नहीं दे सकती हुं । भलेही मुझे जितनी दर्द हो पर में सामनेवाले की दर्द कम करने केलिए कोसीस जरूर करती हुं । कोई मेरे लिये बुरा बने ये मुझे मजुंर नहीं है । मुझे पता थी उसके बिना जी ...और पढ़े

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इस रिस्ते को क्या नाम दुँ ? - 7

अबतक आप पढे हैं की स्रुती को अपनी प्यार से जुदा होनी पडी जबकी उसकी दिल कुछ और केह थी । तब वो अकेली पड गयी थी, बहत् अकेली । यही बता रही थी दिपक् को । ( कितनी अजीब बात है ना, जिसके लिये सबकुछ करना पडे और बादमें उसे ही खोना पडे तो बहत दर्द होती है दिलमें सच् । मालुम नहीं जो प्यार में लोग खुसी कम् और गम क्युं ज्यादा लेते हैं ? ) स्रुती की बाते सुनकर दिपक् भी थोडा दुःखी हो गेया । थोडी देर खामोश् रेहने ...और पढ़े

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