एक लडका को देखा तो ऐसा लगा

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के हर गली, कस्बे और झोपडी मे मुझे ऐसे लोगोको बदनामी, जिल्लत और रुसवाई के सिवा और कुछ नही मिलता । नफरत के निगाहो से देखी जाने वाली ईन “समलैङिगक समुदाय” के लोगोको अपमान बेईजती, तिरस्कार के सिवा, हमारा ये समाज और कुछ नही देता । ईस दुनिया मे हमेशा से लोग की धारणये “समलैङिगक समुदाय” के लिए एक अलग सी रही है । हमारे समाज और यहाँ के लोग समलैङिगक लडको को अकसर “खिलौना लडका” समझते है । जिसे हर कोई सिर्फ और सिर्फ उपयोग करना चाहता है । “प्रयोग करके फेक देना” के रुपमे लिऐ जानेवाले “समलैङिगक समुदाय” के लोगो का भावनाए

नए एपिसोड्स : : Every Tuesday

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एक लडका को देखा तो ऐसा लगा

के हर गली, कस्बे और झोपडी मे मुझे ऐसे लोगोको बदनामी, जिल्लत और रुसवाई के सिवा और कुछ नही । नफरत के निगाहो से देखी जाने वाली ईन “समलैङिगक समुदाय” के लोगोको अपमान बेईजती, तिरस्कार के सिवा, हमारा ये समाज और कुछ नही देता । ईस दुनिया मे हमेशा से लोग की धारणये “समलैङिगक समुदाय” के लिए एक अलग सी रही है । हमारे समाज और यहाँ के लोग समलैङिगक लडको को अकसर “खिलौना लडका” समझते है । जिसे हर कोई सिर्फ और सिर्फ उपयोग करना चाहता है । “प्रयोग करके फेक देना” के रुपमे लिऐ जानेवाले “समलैङिगक समुदाय” के लोगो का भावनाए ...और पढ़े

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एक लड्का को देखा तो ऐसा लगा - 2

#एक लडका को देखा तो ऐसा लगा (भाग - २)मैनै दौड कर भागते हुए बसको रोकनी चाही... लेकिन मुझे बसके कन्डक्टरके सिवा और कोई देख न सका । सायद उस कन्डक्टर ने अपनी उस बेईज्जतीका बदला लेने के लिए जान बुझकर मुझे वही छोडकर बस चला दिया था । मेरे बहूत कोसिसो के बाव्जुद भि मै उस बस को रोक न सका और मेरी आखो के समने से वो बस तेजी से निकल गयी ।।उस बस मे मेरा बैग भी छुट गया था, जिस मे मेरे सारे कपडे, जरुरी के कुछ सामान.... और कुछ पैसे भी थे.....मै नही जानता ...और पढ़े

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