बरसात के दिन थे, नायब तेज रफ़्तार के साथ खड्डों से भरे हुए रास्ते को काटते हुए मोटरसाइकिल तेज भगा रहा था । उसके गाँव से 30 किलोमीटर पर हायवे था जो उसको और तेजी से उसको उसके ठिकाने की तरफ पहुँचाने मे मदत होती और खड्डों से मुक्ति भी मिलती। नायब को खासकर हायवे पर सुबह के वक़्त और शाम के वक्त मोटरसाइकिल चलाने का शोख़ था, साथ ही कानों मे पसंदीदा गाने और रास्ते मे चाय-सिगरेट ! इसलिये वह कुछ खाए-पिए बिना सुबह घर से निकला । जैसा-जैसा रास्ता कट रहा था वैसे बी उसका सिना जो-जोर से

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अधुरी कहाणी - 1

अधुरी कहानी जो एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुकरखने वाले नायब की कहानी है, अभी तो शुरवात हो चुकी ...और पढ़े

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