जीनी का रहस्यमय जन्म

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हम सब बच्चपन से ही अलादीन और उसके जीनी की रोमांचक कहानी बड़े चाव के साथ सुनते हैं किन्तु क्या आप जानते हैं की समान्य रूप से जीनों का रहन सहन किसी चिराग में नहीं होता बल्कि वह तो भव्य महलों और सुन्दर भवनों में रहते हैं जो कि अदृश्य होते है अब सोचने वाली बात है के अलादीन का जीनी एक चिराग में कैसे पहुंचा इसके पीछे एक अद्भुत रहस्यमय कहानी है जीसे मै आज आप को सुनाऊंगा लेकिन उससे पहले आप को जीनों की कुछ विशेष जानकारी देना आवशयक है भले ही जीनो के पास अपार शक्ति और

Full Novel

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जीनी का रहस्यमय जन्म

हम सब बच्चपन से ही अलादीन और उसके जीनी की रोमांचक कहानी बड़े चाव के साथ सुनते हैं किन्तु आप जानते हैं की समान्य रूप से जीनों का रहन सहन किसी चिराग में नहीं होता बल्कि वह तो भव्य महलों और सुन्दर भवनों में रहते हैं जो कि अदृश्य होते है अब सोचने वाली बात है के अलादीन का जीनी एक चिराग में कैसे पहुंचा इसके पीछे एक अद्भुत रहस्यमय कहानी है जीसे मै आज आप को सुनाऊंगा लेकिन उससे पहले आप को जीनों की कुछ विशेष जानकारी देना आवशयक है भले ही जीनो के पास अपार शक्ति और ...और पढ़े

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जीनी का रहस्यमय जन्म (श्राप) - 2

संध्या का मन मोह लेने वाला समय जंगल के वातावरण को बड़ा ही शोभनीय दर्शा रहा हैँ इसी आनंदित वाले वातावरण मे एक गरीब चरवाहा आपने पशुओ को जंगल मे चरहा रहा हैँ थोड़ी देर मे उसको कुछ थकान सी महसूस हुई तो एक विशाल प्राचीन वृक्ष के निचे टेक लगा कर वो बैठ जाता हैँबैठते ही उसकी पलकें भारी हो गई जिसके भार को उठाय रखने का वो संघर्षमय असंभव प्रयास करने लगा किन्तु थोड़ी ही देर मे उसका संघर्ष बल तूट गया और पलकों को विजय प्राप्त हुई जब उसकी नींद टूटी तो उसका ह्रदय कांप उठा उसको अपार ...और पढ़े

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जीनी का रहस्यमय जन्म (लोभ) - 3

दो सदियों के पश्चात ये चिराग़ एक चरवाहे के हाथ लगा ये चरवहा नगर के लोगों की भेड़ को जंगल में चरवता और दिन भर की कड़ी मशकत कर दो पैसे कमाता उसको मिलने वाली राशि से वो अपने परिवार का पेट भर पोषण करवाने में भी असफल रहता किंतु इतनी कठिन परिस्थितियों में भी वो धेर्ये और संतोष के साथ ईश्वर का आभार व्यक्त करता यहाँ तक कि उसकी निष्ठा लग्न और आस्था का लोग उधारण देते ऐसे व्यक्ति को ऐसा तिलिस्मि चिराग़ मिलना किसी इश्वरिये चमत्कार से कम नहीं था चरवाहे को लगा जैसे उसकी कठिन तपस्या और ...और पढ़े

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जीनी का रहस्यमय जन्म - 4

दोपहर की तिलमिलाती धुप मे एक चौदह पंद्रह वर्ष का बच्चा बेसूद भागे जा रहा हैँ, उसका बदन पसीने लतपत होकर उसको रुकने को कह रहा हैँ किन्तु किसी बात का भय उसपर अपनी मजबूत जकड़ बना कर उसको निरंतर भागने पर मजबूर कर रहा हैँ उस बच्चे का खौफ उसके चहेरे पर साफ तोर पर विराजमान हैँ, उसकी धड़कन उसकी रफ़्तार से भी अधिक तेज चल रही थी उसके होंटो पर खुश्की से पपड़ी बन गई थीकुछ दूर भागने के बाद उसकी साँसे उखड़ने लगी, अब उसमे भागने की और क्षमता ना थी कड़कती धुप के प्रकोप से उसकी ...और पढ़े

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जीनी का रहस्यमय जन्म - 5 - अहंकार

इस घटना ने लोगों के प्रति बालक की सद्विचार भावना को दुर्विचार भावना में परिवर्तित कर दिया। और वो गुफा में आ गया किशोर अवस्था मे मानव मन दहकते लोहे समान होता हैँ | जिसमे जीवन भर की सबसे अधिक तपिश होती हैँ पर आकार नहीं, उसका आकार आस पास के लोगों के व्यवहार पर निर्भर करता हैँ | और यही बात उसके व्यक्तित्व को बनाती हैँ, इस जहरिली घटना ने बालक का मन लोगो के प्रति घृणा से भर दिया, अपनी किशोर अवस्था से ले कर अधेड उम्र तक उस ने कई क्रूर हिंसक डाके डाल कर लोगो के मन मे ...और पढ़े

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जीनी का रहस्यमय जन्म - 6 - अंतिम खंड

अंतिम खंडएक बूढ़ा सन्यासी अपने शिष्य को कुछ महत्वपूर्ण उपदेश देते हुए बोल रहा होता हैँ। " पाप का सदैव दंड का पात्र बनता हैँ। चाहे लोक हो या परलोक एक दिन निश्चित उसको दंड भोगना पड़ेगा। शिष्य " पाप और पुण्य केवल किताबों तक ही सिमित हैँ। और मृत्यु पश्चात् का तो पता नहीं पर इस संसार मे केवल निर्बल ही दुख भोगता हैँ। बलवान तो सदैव सुखी रहता है। और इतना बोल उस पैंतीस वर्षीय शिष्य ने अपनी जादुई छड़ी से उस सन्यासी के शरीर के दो टुकड़े कर दिए और उसको मौत की नींद सुला दिया। मगर ...और पढ़े

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