संध्या का समय हैए डूबने वाले सूर्य की सुनहरी किरणें रंगीन शीशो की आड़ सेए एक अंग्रेजी ढ़ंग पर सजे हुए कमरे में झॉँक रही हैं जिससे सारा कमरा रंगीन हो रहा है। अंग्रेजी ढ़़ंग की मनोहर तसवीरेंए जो दीवारों से लटक रहीं हैए इस समय रंगीन वस्त्र धारण करके और भी सुंदर मालूम होती है। कमरे के बीचोंबीच एक गोल मेज है जिसके चारों तरफ नर्म मखमली गद्दोकी रंगीन कुर्सियॉ बिछी हुई है। इनमें से एक कुर्सी पर एक युवा पुरूष सर नीचा किये हुए बैठा कुछ सोच रहा है। वह अति सुंदर और रूपवान पुरूष है जिस पर अंग्रेजी काट के कपड़े बहुत भले मालूम होते है। उसके सामने मेज पर एक कागज है जिसको वह बार.बार देखता है। उसके चेहरे से ऐसा विदित होता है कि इस समय वह किसी गहरे सोच में डूबा हुआ है। थोड़ी देर तक वह इसी तरह पहलू बदलता रहाए फिर वह एकाएक उठा और कमरे से बाहर निकलकर बरांडे में टहलने लगाए जिसमे मनोहर फूलों और पत्तों के गमले सजाकर धरे हुए थे। वह बरांडे से फिर कमरे में आया और कागज का टुकड़ा उठाकर बड़ी बेचौनी के साथ इधर.उधर टहलने लगा। समय बहुत सुहावना था। माली फूलों की क्यारियों में पानी दे रहा था। एक तरफ साईस घोड़े को टहला रहा था। समय और स्थान दोनो ही बहुत रमणीक थे। परन्तु वह अपने विचार में ऐसा लवलीन हो रहा था कि उसे इन बातों की बिलकुल सुधि न थी। हाँए उसकी गर्दन आप ही आप हिलाती थी और हाथ भी आप ही आप इशारे करते थे.जैसे वह किसी से बातें कर रहा हो। इसी बीच में एक बाइसिकिल फाटक के अंदर आती हुई दिखायी दी और एक गोरा.चिटठा आदमी कोट पतलून पहनेए ऐनक लगायेए सिगार पीताए जूते चरमर करताए उतर पड़ा और बोलाए गुड ईवनिंगए अमृतराय।

Full Novel

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प्रेमा - 1

प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 1 विषयसार - सच्ची ...और पढ़े

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प्रेमा - 2

प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 2 विषयसार - जलन बुरी बाला ...और पढ़े

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प्रेमा - 3

प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 3 विषयसार - जूठे ...और पढ़े

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प्रेमा - 4

प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 4 विषयसार - जवानी मौत ...और पढ़े

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प्रेमा - 5

प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 5 विषयसार - अयँ यह गजरा क्या हो गया ...और पढ़े

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प्रेमा - 6

प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 6 विषयसार - मुये सो दुर्रे ...और पढ़े

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प्रेमा - 7

प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 7 विषयसार - आज कभी मंदिर न जाउंगी ...और पढ़े

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प्रेमा - 8

प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 8 विषयसार - कुछ बातचीत ...और पढ़े

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प्रेमा - 9

प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 9 विषयसार - तुम जादूगर हो ...और पढ़े

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प्रेमा - 10

प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 10 विषयसार - विवाह गया ...और पढ़े

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प्रेमा - 11

प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 11 विषयसार - विरोधियों विरोध ...और पढ़े

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प्रेमा - 12

प्रेमा प्रेमचंद का पहला उपन्यास था जो १९०७ में हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। अध्याय 12 विषयसार - एक के दो पुरुष नहीं हो सकते ...और पढ़े

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