मन चंगा तो

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एक बार संत रैदास के पास उसका दुखी मित्र आया,कहने लगा आज गंगा में स्नान करते समय उसका सोने की अंगूठी गिर गई लाख ढूढने पर मिल नहीं सकी संत रैदास ने पास में रखे कठौते (काष्ट के बड़े भगोने, जिसमे चमड़े को भिगो कर काम किया जाता था ) को उठा लाये , उसमे पानी भरा और अपने आगन्तुक मित्र से बोला ,चलो अपने हाथ को डुबाओ मित्र की अंगूठी उस कठौते में थोड़ी देर हाथ घुमाने पर मिल गई अब ये चमत्कार संत का था, कठौते का था,या चंगे मन का था, कहा नहीं जा सकता मगर तब से, ये कहावत जारी है “मन चंगा तो कठौते में गंगा”