चंद्रगुप्त - तृतिय - अंक - 28 नन्द के राजमंदिर का एक प्रकोष्ठ - सेनापति मौर्य की स्त्री को साथ लाते हुए वररुचि का प्रवेश - नन्द उके केश पकड़कर उसे खींचना चाहता है पर वररुचि बीच में आकर रोकता है ... पढ़िए, चन्द्रगुप्त.