इस कदर वाकिफ़ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूं तो इंक़लाब लिखा जाता है . भगत सिंह के इस वाक्य से तो आप वाकिफ़ ही होंगे. देशभक्ति उनके अंदर इस कदर हावी थी कि वो हर पल देश के बारे में सोचते रहते थे. देश को आज़ाद करवाने में कई सपूतों की महत्वपूर्ण भूमिका रही. वहीं आज़ादी के बाद भी देश पर दुश्मनों ने कई बार हमले किए, ऐसे में देश के सच्चे सपूतों ने न सिर्फ़ पलट कर जवाब दिया बल्कि उनका जीना दुश्वार भी कर दिया. इन युद्धों में हमने कई जवानों को खोया है, कुछ का नाम हमारे ज़ेहन में है तो कुछ जवान अभी भी गुमनामी की ज़िंदगी जी रहे हैं. लेकिन हम आज आपको ऐसे ही बहादुर जवानों से मिलवाने जा रहे हैं जिनके बारे में जान कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा.