प्रभु मेरे अवगुण

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पहले जमाने में प्रभु से सीधे संवाद का न जाने कौन सा यंत्र,मन्त्र, तन्त्र था जो डाइरेक्ट डीलिंग और डायलिग का बन्दोबस्त हो जाता था ”इस रुट की सभी लाइने व्यस्त है”, जैसा वाकया अथवा बोल ,केवल धाकड़ किस्म के अधर्मियों के लिए यदा-कदा सुनने को मिल जाए तो बात अलग होती थी किसी गुजरे जमाने के महापुरुष ये कहते पाए गए कि ,जुबानी जमा-खर्च से अगर मुल्क बंटने लग जाता, तो सन सैतालिस के बाद न जाने इसकी कितनी सरहद होती