आइना सच नही बोलता - २८

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क्यों वह अभी तक दीपक की आस मन से लगाए है वह तो शायद उसे कभी याद भी नहीं करता होगा फिर वह क्यों नहीं उसे अपने दिमाग से निकाल देती दीपक अगर होता भी तो उसकी इस स्थिति पर उसे अपमानित करने का मौका नहीं चूकता। वह तो उसमे बची खुशी हिम्मत को भी तोड़ देता। वही तो वह हमेशा करता रहा। शायद इसलिए ताकि जब वह उसे छोड़ कर जाये नंदिनी प्रतिवाद ना कर सके। अपने अधिकार के लिए लड़ ना सके। ओह्ह तो इसलिए वह हमेशा उसे झिड़कता रहा। संसार की हर वह स्त्री जिसे नीचा दिखाया जाता है अपमानित किया जाता है वह उसका मनोबल तोड़ने के लिए होता है ताकि वह अपने अधिकारों के लिए खड़ी ना हो सके। मर्दों को उनकी गलतियाँ ना बता सके उनके सामने बोल ना सके। रात के अँधेरे में खुद की असहायता ने उसे एक बहुत बड़े सच की रौशनी दिखाई। उसे दीपक का वह सौम्य और स्नेहिल रूप भी याद आया और कटु रूप भी।