आदर्श

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1 आदर्श दोगली गीली मिट्टी के सांचे में ढले आदर्श स्त्री के तपते शरीर पर चिपक कठोर बन जाते है चुभन देते है किंतु पुरुष के सीलन भरे शरीर पर ढह जाता है गीले आदर्शो का आकार। 2 हे अहिल्या हे अहिल्या आस्था के मनके बुनती समाधिस्थ मत करों इंतजार राम का पैर के स्पर्श मात्र से मुक्त व्यर्थ भ्रम है नाम का, संदेह से बुद्धि, भ्रष्ट साधु की हुई सदियों तक शिला, पर तुम बन गई बिन अपराध, अपराधिन सी तुम जड़वत करती इंतजार राम का पैर के स्पर्श मात्र से मुक्त व्यर्थ भ्रम