मूर्ख बुद्धिमान

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यह पुस्तक ऐसे लोगों के लिए एक व्यंग है जो हमेशा ही बस अपने विचारों को ही सर्वोपरि रखते हैं । ऐसे लोग कभी नही सोचते की हर व्यक्ति का अपना बाप , अपने विचार , और अपना आदर्श होता है । सभी को अपने साथ साथ दूसरों की भावना का ख्याल रखना चाहिए आप अपना पक्ष रखने के लिये स्वतंत्र हैं , परन्तु किसी को बेबुनियाद गलत कहने के लिये नही । वह स्वतंत्रता , स्वतंत्रता नही होती जिससे की अन्य को शारीरिक व् मानसिक तकलीफ हो ।