आइना सच नही बोलता - 22

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समरप्रताप ने अपने कार्यालय में प्रवेश किया ही था कि फ़ोन तेज घंटी से घनघना उठा स्मित मुद्रा में उन्होंने रिसीवर कान पर लगाया ही था कि एकाएक उनकी भंगिमा पर क्रोध का आवरण चढ़ गया तेज आवाज कार्यालय से आई सभी चौंक पड़े ‘हैलो, कौन हो तुम क्या चाहते हो ’ ‘चुपचाप इस इलेक्शन से हट जाओ, नहीं तो……… ‘नहीं तो क्या क्या कर लोगे और हो कौन तुम ’ ‘मेरी बात ध्यान से सुनो बहुत चर्चे हैं तुम्हारे शायद जीत भी जाओ किन्तु जीत की खबर कहीं ऊपर जाके ही सुनाई दे … इस बात को समझ लो, समरप्रताप !’ रेगिस्तान की सनसनाती लू के थपेड़े सी गर्म हवा समरप्रताप के कानों को दग्ध करने लगी ‘क्क्क्…क्या बक रहे हो क्या कर लोगे तुम मार ही दोगे न … मार दो मैं नहीं हटने वाला अब ’ ‘तो फ़िर तैयार रहना ऊपर की सभा के लिए ’ फ़ोन कट