इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी - 2

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1960 के दशक में विशेषीकृत अभिनव कृषि कार्यक्रम और सरकार प्रदत्त अतिरिक्त समर्थन लागु होने पर अंततः भारत में हमेशा से चले आ रहे खाद्द्यान्न की कमी को, मूलतः गेहूं, चावल, कपास और दूध के सन्दर्भ में, अतिरिक्त उत्पादन में बदल दिया। बजाय संयुक्त राज्य से खाद्य सहायता पर निर्भर रहने के - जहाँ के एक राष्ट्रपति जिन्हें श्रीमती गांधी काफी नापसंद करती थीं (यह भावना आपसी था: निक्सन को इंदिरा चुड़ैल बुढ़िया लगती थीं), देश एक खाद्य निर्यातक बन गया। उस उपलब्धि को अपने वाणिज्यिक फसल उत्पादन के विविधीकरण के साथ हरित क्रांति के नाम से जाना जाता है। इसी समय दुग्ध उत्पादन में वृद्धि से आयी श्वेत क्रांति से खासकर बढ़ते हुए बच्चों के बीच कुपोषण से निबटने में मदद मिली। खाद्य सुरक्षा , जैसे कि यह कार्यक्रम जाना जाता है, 1975 के वर्षों तक श्रीमती गांधी के लिए समर्थन की एक और स्रोत रही।