आज जब लोग स्वार्थ के वशीभूत होकर सारी मर्यादाएं तोड़ कर अपने हित साधन में लग जाते हैं। पिता-पुत्र , पति-पत्नी, माता और पुत्र , स्वामी और सेवक के मध्य यह मर्यादा की एक बारीक डोर ही तो है , जो सम्बन्धों की गरिमा बनाए रखती है । श्री राम का चरित्र ऐसे ही अनेक प्रसंगों से भरा पड़ा है, जिनसे हमें मर्यादापूर्ण आचरण की प्रेरणा मिलती है .