आइना सच नहीं बोलता - 14

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सुबह का सूरज कुछ अलग सी आभा लिए उसके कमरे की खिड़की से अन्दर झांक रहा था . उसके मन के सीले कोने भी सूरज के साथ माँ भाभी के प्यार की ऊष्मा पाकर अब प्रफुल्लित महसूस कर रहे थे . उदासी की एक महक अब उसमे स्फूर्ति सी जगा रही थी उसे सिर्फ प्यार याद रखना हैं कोई नाराजगी या गुस्से के पल नही, कह कर उसने मन को समझाया और धीरे से पलंग के नीचे रखी अपनी स्लीपर खिसकाई .