आइना सच नही बोलता - 13

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नन्दिनी एक झटके से उठी बच्चे के रोने की आवाज़ सुन!! इधर उधर देखा , एकाएक स्वप्न का स्मरण हो आया. उफ़्फ़ कितना भयावह था , उसका सर बोझिल हुआ जा रहा था , इधर किसी सहयात्री का बच्चा लगातार रो रहा था , पिता के भरसक चुप कराने के प्रयत्न के बावजूद , शायद बहुत भूख लगी थी , माँ जल्दी -जल्दी दूध बनाने में जुटी थी , अब सब्र करना बच्चों का स्वभाव तो नहीं!स्वप्न का स्मरण कर उसकी आँखें भर आयीं