आइना सच नही बोलता - १0

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जानती हूँ बेटा, पर सारे कसूर औरत के ही मत्थे मढे जाऐं । मर्द सब कुछ करके भी बरी । चाचाजी तो अब नही है । ये तो आप लोग जो उन्हें सम्मान नहीं दे रहे । समाज की यही रीत है बेटा । औरत को सुहागन का, दूधो नहाओ- पूतो फलो का आशीष देते हैं सब । कोई ये भी कहे कि तेरी उम्र भी बढे। तू खुश रहे । औरत मर जाए तो आदमी विधुर । पर किस कारज में उसे पीछे रखा जाता । सब आदमी औरत के अंतर की कहानी है । जिन्दगी ऐसी ही चलती आई हैं