पीछे जाते समय में भीष्म साहनी

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इस लेख को लिखे जाने के पीछे समय की साम्प्रदायिक स्थितियों परिस्थितियों की रचनात्मक पड़ताल कर एक सार्थक समझ को आकार देने का आग्रह है यह इसलिए भी कि आज, जब साम्प्रदायिक शक्तिया नित नए बदले हुए रूपों में मानव जीवन को न केवल तहस नहस कर रहीं हैं अपितु मानवीय जीवन मूल्यों पर सीधे आक्रमण कर, हमारी सांस्कृतिक विरासत को खोखला कर रहीं हैं