कोना फटा पोस्टकार्ड

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यदि निगम बोध घट गए हों तो देखें होंगे कि एक साथ छह, आठ और बारह लोगों के जलने की व्यवस्था है। वहीं ओहदे और प्रतिष्ठित हुए तो अगल बने स्थान पर जलते हैं। यदि आमजन हुए तो यमुना किनारे जला करते हैं। एक दाह संस्कार में जितनी लकड़ी लगती है और पर्यावरण प्रदूषित होता है उसे ओर न्यायालय का सुझाव था कि क्यों न विकल्प तलाशा जाए। जब हमारे पास सीएनजी और विद्युत दाह संयंत्र मौजूद हैं तो उसका इस्ताल क्यों न किया जाए। लेकिन मसला यहां परंपरा और रिवाज पर अटक जाता है।