हुक्मउदूली भाग 3

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(बैठकखाने में सोहर, उमा और अभिराम हैं। सोहर आवाज लगाते हैं।) सोहर : गपलू....कार आकर लग गयी है बाहर, सामान लादो भाई, जल्दी। (गपलू अंदर से बारी-बारी से अटैची, बोरा आदि ढोकर ले जाने लगता है।) सोहर : प्रथा, अभिराम जा रहा है, बाहर आओ, भाई । (प्रथा अनमनी-सी बाहर आती है।) अभिराम : बोरे में आप क्या लदवा रहे हैं अंकल? मनोहर : गाँव से आया है बेटे, अपने खेत का चूड़ा है, कुछ बासमती चावल है। अभिराम : ओह, अंकल इसकी क्या जरूरत थी?