मैं धरती...तू आकाश

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संगीता सेठी के काव्य संग्रह मै धरती ...तू आकाश की कविताएं आश्वस्त करती हैं की स्त्री-विमर्श के शोरगुल और रुदन से भरी इन दिनों की कविताओं में के बीच ये कविताएँ एक अर्थपूर्ण और आशाजनक स्वर रचती हैं इन कविताओं में दुःख,हताशा होते हुए भी अंतिम स्वर एक ऐसी स्त्री का है जो तमाम नकारात्मक उलझनों को पीछे छोड़ कर निकलना चाहती है संगीता की कुछ कविताएँ इस दौर की क्रान्तिपूर्ण कविताएँ हो सकती हैं जैसे शाहजहाँ को लेकर लिखी कविताएँ और कौन बचाएगा बचा रखा है और चुपके से जैसी कविताएँ आज की स्त्री की प्रतिनिधि कही जा सकती हैं