आदर्श और मजबूरियाँ,भाग-1

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इस जमाने में जबकि सत्य और अहिंसा नामक शब्द एक मिथक समझे जाते हैं तथा उस धारणा का प्रबल आधिपत्य है कि हारे के हरि नाम या मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी इत्यादि-इत्यादि......वह कोमलांग बालक अहिंसात्मक प्रयोग कर रहे थे.वह प्रयोग जिसे बड़े-बड़े तजुर्बेदार नहीं साध सकते, वह एक मासूम बालक आजमा रहा था.