अँधा प्यार और लूटती आबरू

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प्रेम हमेशा अमर था और अमर ही रहेगा। हम भी तो कहीं ना कहीं किसी ना किसी को प्रेम करते हैं। पर जैसे-जैसे समय ने अंगड़ाई ली वैसे-वैसे वक्त बदला और बदल गया प्रेम का स्वरूप। आज सच्चे प्रेम की कहानियां देखने को ही नहीं मिलती। अगर कोई कहानी मिलती भी है तो वह आज अपवाद बन कर बिखर गई है। या तो प्रेम टूट जाता है नहीं तो उन प्रेमियों को मिलती है झूंठी परम्पराओं के नाम पर मौत।