हमारे सपनों का भारत कैसा हो

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यह एक अखिल भारतीय प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से पुरस्कृत निबन्ध है। सन 2002 में हिंदी की प्रसिद्ध प्रतियोगी मासिक पत्रिका प्रतियोगिता दर्पण द्वारा यह प्रतियोगिता आयोजित की गयी थी और इस पत्रिका के एक अंक में उसी वर्ष निबन्ध प्रकाशित हुआ था। मेरे, आपके, हर अधिकार एवं कर्तव्य चेतन नागरिक के कुछ कॉमन सपने हो सकते हैं और संभव है ये देश और समाज की प्रगति एवं समृद्धि में भी सहचर व सहायक साबित हों। ऐसे सपनों की एक लम्बी फेहरिस्त है। आइये, जीवन के लिए जरूरी सपनों की एक रोचक एवं आँखखोलू पड़ताल से हम यहाँ गुजरते हैं।