उसके पाँच साल बाद बब्बू से अचानक फिर मुलाकात हो जाएगी, यह कब सोचा था? पर जीवन में कुछ ऐसे संयोग होते हैं जिनकी कल्पना तक चकित करती है। हुआ यह कि बच्चों के साथ घूमने के लिए मैं रोज गार्डन गया था। नवंबर का महीना। सर्दियों की शुरुआत हो चुकी थी। ऐसे में किस्म-किस्म के गुलाबों की नुमाइश देखना खासा मजेदार लग रहा था और सबसे मजे की बात तो यह थी कि लाल गुलाबों के अलावा वहाँ सफेद, पीले और काले गुलाब बहुतायत में थे। देख-देखकर हम खुश थे, मानो किसी और दुनिया में जा पहुँचे हों, जहाँ रंगों और गंधों का एक निराला आकर्षण था। देखते-देखते सुबह से दोपहर हो गई।