सादो द्वीप की यात्रा

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जापान की खूबसूरती ने मुझे हमेशा आकर्षित किया है । हाइकू कविताएँ,बोंसाई कला जिसमें विशाल जटाजूट धारी दरख्त बरगद तक पाँच छै: इन्च के गमले में अपने विशाल स्वरुप सहित सिमट आता है, इकेबाना यानी सूखे फूलों, टहनियों से गुलदस्ते में की सजावट, किमोनो और किमोनो के संग छोटा सा गोल पंखा और लकड़ी के ऊँचे तले के जूते पहने जापानी बाला और जीवित ज्वालामुखी माउन्ट फ़्यूजी जिसे देख देख कर और जिसकी सुन्दरता में गोता लगाते हुए जापानी कवियों ने कविताएँ रचीं... ये सब वजहें हैं जो मैं जापान को अपनी स्मृतियों में ताज़ा किये हूँ जापान विशाल को लघु करने की कला जानता है हाइकू कविताएँ भी तीन या अधिक से अधिक चार पंक्तियों की होती है और मन को भीतर तक सम्मोहित कर जाती हैं लेकिन जापान एक वजह से और मन को चीर चुका है और वह है बीसवीं सदी की भयंकरतम त्रासदी जब आज से पैंसठ वर्ष पूर्व हिरोशिमा, नागासाकी पर परमाणु बम गिराया गया था और समय थम कर रह गया था, मानवता रो पड़ी थी और रूद्र काँप उठे थे