Dewarein

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दीवारें एक कविता संग्रह है जो मानव मन में मुख्तया कलियुग के प्रभाव से उत्पन्न हलचल , विरोध ,द्वन्द,भटकाव को दर्शाता है अंधाधुंध विकास के चलते प्रकर्ति और मानव मूल्य कैसे ताक़ पर आते रहे हैं सांसारिकता में लिपटा आज का मानव स्वार्थवश इंसानी रिश्तों को उपेक्षित कर रहा है और अंतर्मन से संवाद होने के बावजूद भय, संशय,नैराश्य ,द्वन्द से इस कदर घिरा है कि निराशा में आशा की किरण की एक हलचल भी कलियुग की तीक्ष्ण हुंकार को दबा नहीं पाती!! कलियुग का वर्चस्व देखते ही बनता है