सुकरात मेरे शहर में

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पहली बार उसे गुलमोहर के लाल फूले पेड़ के नीचे बैठे देखा था। एक स्वस्थ, अधेड़ आदमी जिसकी गोदी में गुलमोहर के चार-छै फूल थे। लाल, दहकते हुए। उसने खुद ही उठाकर रखे थे या ऊपर से गिर पड़े थे, कह पाना मुश्किल था। फिर भी बात हैरानी की तो थी ही। आज के वक्त में कोई अधेड़ इतना सौम्य, इतना सुगठित और इतना फूल-प्रेमी तो रह नहीं जाता।